“महत्वाकांक्षा का मोती निष्ठुरता की सीपी में रहता है।
पल्लवन— जिस प्रकार सीपी में मोती रहता है, उसी प्रकार निष्ठुरता में महत्वकांक्षा मोती सदृश कमनीय एवं रमणीय महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए कभी-कभी कठोर काम भी करने पड़ते हैं। यदि कोई सहृदय और उदार होकर यह चाहे कि प्रत्येक महत्वकांक्षा पूरी हो जाए, तो यह असंभव है। महत्वाकांक्षी व्यक्ति को अनेक अवसरों पर निष्ठुरता एवं क्रूरता का परिचय देना पड़ता है। दूसरे शब्दों में यदि कोई व्यक्ति निष्ठुरता तथा क्रूरता दिखा रहा है, तो निस्संदेह परोक्षतः उसके पीछे उसकी महत्वाकांक्षा विद्यमान है।
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