पारिभाषिक शब्द की विशेषताएँ


पारिभाषिक शब्द की विशेषताएँ
1. पारिभाषिक शब्द का अर्थ सुनिर्धारित होता है।
2. जिस विषय अथवा सिद्धांत के लिए है, उसी से  सम्बध्द या वही अर्थ व्यक्त करता है ।
3. एक विषय में एक धारणा को प्रकट करने के लिए एक ही पारिभाषिक शब्द होता है ।
4. पारिभाषिक शब्द छोटा है तो प्रयोग में सुविधा होगी । 5. सामान्यतः पारिभाषिक शब्द मूल हो- व्याख्यात्मक नहीं ।जैसे 'अहिंसा' एक पारिभाषिक शब्द है ,इसके स्थान पर 'किसी के प्रति हिंसा भाव न रखना' नहीं हो सकता, यह पारिभाषिक शब्द 'अहिंसा' की व्याख्या है।
6. एक ही विषय -क्षेत्र में सबंध्द पारिभाषिक शब्दों के रूप की दृष्टि से सादृश्य हो तो संगत लगता है। जैसे विज्ञान के विषय में 'ऑक्सीडेशन ','रिडक्शन ',हाइड्रोजीनेशन' आदि शब्दों के अपनी विशेष अर्थ तो है ही ,ये परिभाषिक शब्द भी है, साथ ही इनकी रूपों में एक  सादृश्य है।
7. पारिभाषिक शब्द ऐसा ही जिससे उसके अर्थ से सबंध्द छायाओ को प्रकट करने वाले शब्द बनाए जा सके। जैसे भाषा विज्ञान में एक परिभाषिक शब्द है 'स्वन',इससे 'स्वनिम',' स्वनिमिकी', सहस्वन' आदि शब्दों का निर्माण हुआ और ये स्वन से संबंध रखने वाली विविध ओं को प्रकट करने में भी सक्षम है।
पारिभाषिक शब्दों के प्रकार -
1. ऐसा शब्द जो विषय से संबंध प्रोक्ति में तो विशेष अर्थ देते हैं ।अतः पारिभाषिक स्वरूप का निर्वाह करते हैं । लेकिन जब उस विशेष विषय क्षेत्र से बाहर उनका प्रयोग होता है तो उनका पारिभाषिक अर्थ नहीं रहता- सामान्य अर्थ ही होता है। 'असंगति' शब्द काव्यशास्त्र विषय में एक विशेष अलंकार का बोधक है, विशेष पारिभाषिक है । 'शक्ति' शब्द भी इसी प्रकार है। पर सामान्य प्रयोग में 'असंगति' और 'शक्ति' शब्द के पारिभाषिक अर्थ नहीं है ।ऐसे शब्दों को अपूर्ण अथवा आंशिक पारिभाषिक शब्द कहा जाता है।
2.  कुछ शब्द ऐसे हैं जिनका पारिभाषिक शब्द के रूप में ही प्रयोग होता है --सामान्य प्रसंग में होता ही नहीं - ऐसे शब्द पूर्ण पारिभाषिक शब्द कहलाते हैं । नाट्य शास्त्र में प्रयुक्त 'पंच संधि ' शब्द इतना  रूढ़ पारिभाषिक शब्द है कि इसका अन्यत्र किसी प्रसंग में प्रयोग हो ही नहीं सकता। यही स्थिति नाट्यशास्त्र के 'अर्थप्रकृति' शब्द की है । ये शब्द पूर्ण पारिभाषिक शब्द है।

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