वैज्ञानिक लिपि के विशेष गुण क्या हैं ?

. वैज्ञानिक लिपि के विशेष गुण क्या हैं ?

अथवा 

देवनागरी की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए लिपि की वैज्ञानिकता बताइये। 

अथवा

देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डालिए। अथवा नागरी लिपि पूर्णतः वैज्ञानिक लिपि है। उदाहरण सहित समझाइये । 

 देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता

किसी भी लिपि की भाषा का शास्त्रीय दृष्टि से तभी महत्व होता है जबकि उसमें एक आदर्श वैज्ञानिक लिपि के गुण विद्यमान हों। यद्यपि यह भी सत्य है कि संसार की कोई भी लिपि ऐसी नहीं है जिसमें वैज्ञानिक दृष्टि से आदर्श-नीति की सभी विशेषताएँ समाहित हों। फिर भी गुण-दोषों के विवेचन से हम किसी लिपि की वैज्ञानिकता का मूल्यांकन तो कर ही सकते हैं। देवनागरी लिपि अत्यन्त प्राचीन व प्राचलित लिपि है, आगे विवेचन से स्पष्ट हो जायेगा

कि देवनागरी लिपि वैज्ञानिक दृष्टि से कितनी खरी उतरती है।

                आदर्श लिपि की विशेषताएँ 

आदर्श लिपि में क्या-क्या गुण होने चाहिए यह एक चिन्तनीय विषय है। एक ओर जहाँ डॉ. भोलानाथ तिवारी मात्र छः विशपताओं का उल्लेख करते हैं, वहीं डॉ. शं. दा. चितले पन्द्रह विशेषताओं का। दोनों मतों को विचारार्थ यहाँ लिया जा रहा है जिसके आलोक में हम देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता का विश्लेषण करेंगे।

डॉ. श. दा. चितले के अनुसार, "देवनागरी लिपि स्वरूप, विकास और समस्याएँ" में उन्होंने आदर्श लिपि की निम्नलिखित दस विशेषताएँ गिनाई हैं—

 मुख्य विशेषताएँ-

1. निश्चितता — एक वर्ण की एक ध्वनि होनी चाहिए।

2. एकरूपता—जो लिखा जाय वही पढ़ा जाय। 

3. सार्थकता- प्रत्येक अक्षर उच्चारित होने चाहिये।

4. उपयुक्तता —भाषा में प्रयुक्त सभी ध्वनियों के लिपि चिह्न होने चाहिये। 

5. स्पष्टता —एक ध्वनि के लिए एक ही चिह्न होना चाहिए।

6. सरलता व सहजता-  लिपि पढ़ने में सरल और सहज होनी चाहिये।

7. सौन्दर्य - लिपि देखने में सुन्दर होनी चाहिये।

8. स्वरालेखन–लिपि आसानी एवं शीघ्रता से लिखी जा सकनी चाहिये ।

9. मुद्रण सुलभता—लिपि के मुद्रण में आसानी होनी चाहिये। मुद्रण सर्वसुलभ होना चाहिये।

10. यान्त्रिक सुलभता —उक्त लिपि की बनावट ऐसी होनी चाहिए कि टाइपिंग, कम्प्यूटर, टेलेक्स व छपाई में कोई असुविधा उत्पन्न न हो। 

अन्य विशेषताएँ—

1. लिपि स्वदेशी होनी चाहिए।

2. लिपि का प्रयोग बहु-प्रचलित व व्यापक स्तर पर हो।

3. लिपि प्राचीन हो ।

4. देश में प्रचलित अन्य लिपियों से उस लिपि का निकट का सम्बन्ध होना चाहिए।

 5. लिपि का प्रयोग बहु-संख्यकों द्वारा होना चाहिए।

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