लोकोक्ति का अर्थ एवं परिभाषा


लोकोक्ति
या कहावत की परिभाषा देते हुए उसके महत्व पर प्रकाश डालिए| अथवा लोकोक्ति की विशेषताएं लिखिए| अथवा
कहावत एक प्रकार का नीति कथन है ।उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए|

लोकोक्ति का अर्थ एवं परिभाषा -


किसी व्यक्ति विशेष अथवा लोकमानस द्वारा गढ़ी गयी लोक जीवन मेंं प्रचलित एवं स्वीकृृृत सूक्ति को लोकोक्ति कहतेे हैं। लोकोक्ति के अंतर्गत केवल वे ही सूक्तियां समाविष्ट की जाती है ,जो किसी सत्य,भाव या अनुकूल सत्य को चमत्कारपूर्ण ढंग से प्रकट करती है।
लोकोक्ति को कहावत भी कहा जाता है
कहावत शब्द संस्कृत के 'कथावस्तु' शब्द से विकसित हुआ है।इससे यह ध्वनित होता है की कहावत आथवा लोकोक्ति का संबंध किसी कथा अथवा कहानी में निहित किसी तथ्य से रहता है।लोकोक्तियों अथवा कहावतो का प्रयोग करके वाक्य (भाषा को भी) अधिक प्रमाणिक ,युक्तिसंगत, तार्किक तथा जोशीला बनाया जा सकता है। कहावतों के कारण कथन में विशेष प्रभाव आ जाता है। कथन को स्पष्ट करने की दृष्टि से भी लोकोक्तियां अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसलिए संस्कृत में कहावतो को भाषा का अलंकार मानकर इनको लोकोक्ति के नाम से ही अभिहित किया जाता रहा है ।कहावततो के अन्दर नीतिपरक संकेत भी रहते हैं ।आचार-विचार तथा आहार-विहार के संदर्भ में भी लोकोक्तियां अनुभव पर आधारित शाश्वत का प्रतिपादन करती है। लोकोक्ति की विशेषताएं-
लोकोक्तियों की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएं हैं-(1)संक्षिप्तता-लोकोक्तियां संक्षिप्त होती है। यह यद्यपि अपने आप में पूर्ण रहती है किंतु किसी सत्य के आधार पर ये मात्र दृष्टांत उपस्थित करती है। अतः इसका इनका आकार बहुत छोटा होता रहता है। (2)स्वतःपूर्णता-लोकोक्तियां किसी क्रिया या वाक्य पर आधारित न रहकर अपने आप में एक इकाई रहती है । अतः तथ्य ,कथ्य और अर्थ की दृष्टि से वे अपने आप में पूर्ण होती है। उनको समझने के लिए किसी प्रसंग या अन्य वाक्य की आवश्यकता नहीं पड़ती। (3)सारगर्भिता -लोकोक्तियां किसी कहानी में निहित सत्य पर आधारित रहती है। यह सत्य अनुभूत तथा स्वीकृत रहता है। अतः उसको अत्यंत संक्षेप में सारगर्भित पदो के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। (4)सरलता तथा सजीवता-लोकोक्तियां लोक जीवन से सम्बन्धित अनुभवों पर आधारित रहती है। अपनी स्पष्टता मधुरता, सहजता तथा सरलता के कारण ये श्रोताओं को प्रभावित करके उनके द्वारा अपने को स्वीकृत करा लेती है। लोकोक्तियां वस्तुतः लोकमानस की अमूल्य निधि है ।अतः लोकमानास की सहजता और सरलता इसमें कूट-कूट कर भरी रहती है। (5)वाच्यार्थ-लोकोक्तियां प्रायःवाच्यार्थ का ही बोध कराती है ।लाक्षणिकता प्रायः नहीं रहती। अपने वाच्यार्थ द्वारा ही जो कुछ कहना होता है उसे स्पष्ट कर देती है। इसके प्रतिकूल मुहावरों में लाक्षणिकता रहती है।

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