मुहावरों का अर्थ

मुहावरा किसे कहते हैं ?इसकी आवश्यकता क्यों पड़ती है। -
 मुहावरों का अर्थ -मुहावरा अरबी  भाषा का शब्द है। इसका अर्थ होता है -'अभ्यास ' या बातचीत ।
इसकी परिभाषा इस प्रकार की जा सकती -

 परिभाषा -"ऐसा वाक्यांश जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण कार्य की प्रतीति कराए 'मुहावरा' कहलाता है।"

मुहावरों के प्रयोग से  भाषा में सरलता ,रोचकता, सजीविता, परिष्कार ,प्रवाह और चमत्कार आ जाता है। मुहावरों में भाषा को विशेष आकर्षण एवं प्राणवान बनाने की अद्भुत क्षमता होती है । मुहावरों के ललित प्रयोग से वक्ता अथवा रचनाकार की विशिष्ट अभिव्यक्ति-क्षमता का बोध होता है । जहॉ जितने अधिक मुहावरों का प्रयोग किया जाता है । वहां का समाज  उतना ही प्रगतिशील माना जाता है वस्तुतः मुहावरे भाषा के लिए प्राण स्वरूप है और इन्हें साहित्यिक रचना में उचित स्थान दिया जाना चाहिए।

मुहावरों की प्रमुख विशेषताएं-

 मुहावरों की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्न प्रकार हैं -


  1. मुहावरों के विलक्षण अर्थ की सिद्धि वाक्य में प्रयुक्त होने पर होती है । वाक्य में प्रथक् मुहावरा अपनी विलक्षणता को सिद्ध नहीं कर पाता ,जैसे- कोई कहे 'मुंह बनाना' तो उसमें कोई अर्थ-वैभव प्रकट नहीं  होगा। इसके विपरीत कोई कहे कि उसने मैले कपड़े देखकर 'मुंह बनाया' तो वाक्य के अर्थ मे लाक्षणिकता और व्यक्तित्व उत्पन्न होगा।
  2. पर्यायवाची शब्द रख देने से मुहावरों की विचित्रता जाती रहती है,जैसे-' पानी-पानी होना' एक मुहावरा है। इसके स्थान पर 'जल-जल होना' लिख देने से मुहावरे का अर्थ- वैभव नष्ट हो जाएगा।
  3. मुहावरों का अर्थ यादृच्छिक अथवा सामाजिक स्वीकृति के आधार पर नहीं, वरन् प्रसंग के अनुसार घोतक होता है। यही कारण है कि  मुहावरे अपने प्रत्येक प्रयोग के साथ एक नया चमत्कार लेकर अवतरित होते हैं ।उदाहरण के लिए 'अंक भरना' को लिया जा सकता है ।देखिए - माता ने देखते ही अपने बेटे को अंक में भर लिया। यहां अंक में भर लिया का  अभिप्राय है, हृदय से लगा लिया । ईश्वर तुम्हारा अंक भरे- यहां अंक भरने का आशय है तुम्हारे संतान हो।
  4.  मुहावरे सहज तथा सरस वातावरण में निर्मित होते हैं उनमें किसी प्रकार की काट-छांट अस्वाभाविकता अथवा कृत्रिमता नहीं रहती।  ये व्याकरण के नियमों अथवा संबंधित भाषा की व्यवस्था की चिंता नहीं करते। मुहावरों की स्वाभाविकता के कारण लोगों की मान्यता है कि मुहावरे प्रायः गांवों में निर्मित होते हैं।
  5. मुहावरे में शब्दार्थ नहीं, अपितु उसमें दिया हुआ अर्थ ही महत्वपूर्ण होता है, जैसे- 'खिचड़ी पकाना ' एक मुहावरा है । इसमें 'खिचड़ी' और 'पकाना' दोनों के कोश प्रसिद्ध अर्थ अधिक महत्वपूर्ण नहीं है ,महत्वपूर्ण है- इसका अप्रस्तुत अर्थ " गुप्त रूप से सलाह करना ।" मुहावरे के इस अप्रस्तुत अर्थ की प्रतीति निरंतर प्रयोग की एक लंबी परंपरा के कारण सहज ही हो सकती है।

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