संक्षेपण लेखन की विधि और शैलीगत नियम

                  संक्षेपण लेखन की विधि और शैलीगत नियम

 संक्षेपण करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए और संक्षेपण के नियम जो आपके ध्यान में रखने योग्य बातें हैं।
यद्यपि

संक्षेपण के निश्चित नियम

संक्षेपण के निश्चित नियम नहीं बनाए जा सकते ,तथापि अभ्यास के लिए कुछ सामान्य नियमों का उल्लेख किया जा सकता है ।कि निम्न प्रकार के हो सकते हैं -

1 उदाहरण ,दृष्टांत ,उपमा अलंकार आदि को संक्षेप में सरल शब्दों में व्यक्त करने की आवश्यकता होती है। अतः केवल उनका आशय ग्रहण कर लेना चाहिए।
 2 संक्षिप्तीकरण में भावों की सजावट और उसकी क्रमबद्धता पर भी ध्यान रखना होता है। भावों का क्रम निर्धारित कर लेना चाहिए जिससे जो कुछ व्यक्त करना है ,उसे तर्कपूर्ण लिखा जा सके ।
3 यह भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी भाव की व्याख्या न की जाए ।उसका उल्लेख मात्र ही पर्याप्त है ।लेकिन संक्षिप्तीकरण में स्पष्टता हो और मूल अवतरण के भावों की पूर्ण अभिव्यक्ति हो जाए यह भी आप ध्यान रखें ।
4 संक्षिप्तीकरण में अपनी भाषा और शैली का पूर्ण रुप से होना जरूरी है।अवतरण की भाषा नहीं लिखनी चाहिए।
 5 संक्षिप्तीकरण के साथ कभी-कभी अवतरण का शीर्षक भी पूछ लिया जाता है। मूल अवतरण को दो तीन बार पढ़ लेने के पश्चात उस में निहित मुख्य तथ्य समझ में आ जाए ,उसके बाद ही शीर्षक लिखना चाहिए।शीर्षक छोटा मुल कथ्य से संबंधित होना जरूरी है|
6 संक्षेपण में विशेषणों के लिए स्थान नहीं है। उसे निकाल देना चाहिए|
7 संक्षेपण की शैली सरल एवं अलंकार विहीन हो उसमें आडंबर ना हो |
8  संक्षेपण मे मूल के मुहावरों को अथवा उन मुहावरों के स्थान पर दूसरे मुहावरों को रखना भी उचित नहीं है ,मुहावरों का सारांश अवश्य रखा जा सकता है।
9 संक्षेपण में प्रत्यक्ष कथन को भी परोक्ष कथन में ही रखना चाहिए, यह ध्यान रहे कि ऐसे वाक्य हिंदी की प्रकृति के अनुकूल हो।
10 अंत में संक्षेपण में शब्दों की अल्पता का ध्यान रखते हुए कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक भावों को व्यक्त करने का प्रयास करना चाहिए ।
     उपर्युक्त जितनी भी बातें का ध्यान रखकर जो सारांश तैयार किया जाए, वह निश्चित ही श्रेष्ठ सारांश होगा अर्थात वह रचना से अधिक बोधगम्य, पूर्ण दोष रहित होगा और वैसा ही होना चाहिए।

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